tag:blogger.com,1999:blog-7865166656569301346.post1787977175882700124..comments2023-04-17T04:21:55.307-07:00Comments on dosti ke ye pal......... kya sath rahege kal: ये क्या हुआ है मुझे !!!shweta.jithttp://www.blogger.com/profile/01836193295087138547noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7865166656569301346.post-67880901661078753852009-06-12T05:36:27.081-07:002009-06-12T05:36:27.081-07:00सबको सफ़र चुनने की आज़ादी नहीं मिलती
मंजिलें मिल भी...सबको सफ़र चुनने की आज़ादी नहीं मिलती<br />मंजिलें मिल भी जायें मगर कामयाबी नहीं मिलती<br />आवारा परिंदों की तरह उड़ जाता है वक़्त दूर कहीं<br />पर जाने क्यों हमें अपने गुज़रे हुए कल से आज़ादी नहीं मिलती<br />दिल की तिजोरी में बंद कर के रखे थे खुशियों के चाँद लम्हे<br />एक मुद्दत हुई उस तिजोरी की चाभी नहीं मिलती<br />बेझिझक किसी बच्चे की तरह घुस गया थ किसी गैर के घर में<br />क्या खबर थी की बड़ों को बच्चों सी आज़ादी नहीं मिलती<br />साहिलों पर बिखरी रेत से इस संसार में क़दमों के निशाँ तो बहुत मिलते हैं<br />पर किसी भी निशाँ को पहचान बेमियादी नहीं मिलती<br />कभी मौका मिला तो लिखूंगा तेरे बारे में भी<br />अभी तो ख़ुद से फुर्सत नहीं मिलती<br />मिलने को तो मिल जाती है हर चीज़ जिन्दगी में<br />बस जिनकी चाहत होती है वही नहीं मिलती<br />मिल जाती है आज भी बहुतों से नज़रें<br />पर हजारों में भी वो एक नज़र नहीं मिलती<br />इस कदर बेकरार है तेरे फ़िर आने की आस में ये दिल<br />कि किसी आलम भी रग्बत नहीं मिलती<br />नाहक ही परेशान है तू ए दिल<br />जबकि मालूम है तुझे<br />कि हर किसी को इस जहाँ में<br />मोह्हबत नहीं मिलती<br />झूठ कहा था मैंने भी- उसने भी<br />क्या खबर थी कि झूठ के पुलिंदों में<br />असलियत नहीं मिलती<br />आज बरसों बाद मिलकर समझा रहे हैं वो<br />इश्क का मतलब हमें<br />ज़रा पहले कह दिया होता<br />तो इतनी मुसीबत नहीं मिलती<br />जो समझते थे कि<br />समझते हैं सब कुछ हम<br />अब समझ में आया<br />कि दीवानों को कुछ भी समझने की<br />समझ नहीं मिलती<br />वक़्त अभी मोड़ पर ही है<br />सोचता हूँ वापस बुला लूँ<br />पर आवाज़ में अब वो पहले सी<br />ताक़त नहीं मिलती<br />याद कर के बीते लम्हों को<br />खुश तो हो सकता हूँ मगर<br />जिन्दगी की जद्दोजहद में फुर्सत नहीं मिलती<br />दोस्त बनने को तो आज भी तैयार हैं कई लोग<br />पर अब किसी से भी अपनी तबीयत नहीं मिलती<br />जज़्बात भी वही हैं<br />अल्फाज़ भी वही हैं<br />पर अब किसी भी जुबान में<br />तुझ सी मासूमियत नहीं मिलती<br />फिसल जाती है हाथ से जिन्दगी यूँ ही बिन बताये<br />वक़्त बहुत बेरहम है<br />इससे एक पल की भी मोहलत नहीं मिलती<br />कर के देख ली है बहुत जोर-आजमाइश हमने<br />अब रिश्तों में पड़ी सिलवटें मिटाने की हिम्मत नहीं मिलती<br />दोस्तों ने इस कदर साथ दिया है हर मोड़ पर कि<br />अब हमें दुश्मन बनाने कि जरूरत नहीं पड़ती<br />मुस्कराहटों के हर पल कर संजो के रख लेना यारों<br />जिन्दगी में बार-बार मुस्कराने की मोहलत नहीं मिलती<br />ज़ख्मों का हिसाब मत रखना क्योंकि<br />अपनों की दी हुई चीज़ों की कीमत नहीं लगती<br />मुश्किलें हल हल हो जाएँगी सारी<br />गर सच को सच मान लिया जाये पर जाने क्यों<br />सच को सच मान लेने की हिम्मत नहीं मिलती<br />देखकल गलियों में फिरते इन आवारा आशिकों को भी<br />जाने क्यों इन नए मजनुओं को नसीहत नहीं मिलती<br />चलो अब लौट चलें घर की ओर<br />जिन्दगी की इन वीरान गलियों में अब<br />सांस लेने की भी आज़ादी नहीं मिलती<br />जो देते हैं दुहाई यार की बेवफाई की<br />कभी झाँक कर देखेंगे अपने गिरेबाँ में तो जान जायेंगे<br />वफ़ा के बदले कभी बेवफाई नहीं मिलतीRitesh chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01836950012222267082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7865166656569301346.post-44991980666331874142009-06-07T04:58:31.526-07:002009-06-07T04:58:31.526-07:00खुश रहिए , कैसे भी , बस खुश रहिए , अच्छा लिखा ह...खुश रहिए , कैसे भी , बस खुश रहिए , अच्छा लिखा है आपने<br />सधन्यवाद,<br />मयूर<br /><a href="http://sarparast.blogspot.com" rel="nofollow">अपनी अपनी डगर</a>MAYURhttps://www.blogger.com/profile/07342867687077320304noreply@blogger.com