Friday, July 30, 2010
rasta .....
जब उन्होंने साथ चलने को कहा था,
कदम डगमगाने पर भी संभले थे अक्सर,
हवाओ का भी रुख मोड़ देने का,
आखिर जवां हौसला था,
मंजिल के हम बहुत करीब आ गए थे की....,
हवा के थपेड़ो ने, और किस्मत की चंद लकीरों ने
कुछ निभाया हमसे यू रिश्ता,
जिस मोड़ पर हम खड़े थे,
वहां से आगे जाने का कोई रास्ता न दिखा,
रास्ते ख़त्म हो गए थे,
उस झुरमुट और पुराने पीपल के आगे कोई रास्ता नही जाता था,
मैंने कहा शाम हो गयी है, इंतज़ार करेगे .....,
पर मंजूर न हुआ मेरी परछाई को, अंधेरो में मेरा साथ निभाना.......!!!
मुझे तन्हा छोड़ कर उसने जाना पसंद किया ,,,,,,
हम आज भी उसी मोड़ पर खड़े है ...
जहाँ से अब रास्ते तो कई जाते है,,,,
पर न जाने क्यों अब भी हम अनजान बने है,
अब...............................
रात का घना साया हो, या जगमग सबेरा,
आज भी हम उन अंधेरो में घिरे है,
जाने क्यों...............?????????
Monday, April 5, 2010
dosti ke ye pal......... kya sath rahege kal: पुरानी गलियों से !!!
पथ पर चल पड़े है, मंजिल की होड़ में
उन हजारो की भीड़ में एक मैं भी हु
पर क्या in सब में "मैं एक बन पाउगी
"या फिर भीड़ में, कही खो सी जाऊगी
अपना अस्तित्व मै खोजना चाहती हूँ
इस दुनियां को अपने baare me बताना चाहती हूँ
जानती हूँ की रास्ता आसन नही है
कांटे पत्थर और न जाने क्या क्या है
सब मेरे साथ आ गए है, मुझे रोकने के लिए
पर मुझे रुकना नही है इन सब को हराना है
समाज की गहरी खाहियो के आगे
एक मेरे सपनो का घरोदा है
मुझे वहां तक हरहाल में जाना है
पैरो में चुभ गये है कांटें कितने गहरे
पर अब निकलना नहीं कोई कांटा
क्योकि अब मैंने घुटनों के बल छुकना छोड़ दिया है
Friday, October 2, 2009
Friday, June 26, 2009
वजह
हम जी रहे जैसे , हम जीना तो नही चाहते थे
जिस गली की ओर कदम ख़ुद बढ़ चले है
इस रास्तें के हम अनजान मुसाफिर है
फिर क्यो yun हम आगे बढ़ रहे है
कई बार हुमने ख़ुद को बहुत रोका है
पर हर बार वो गली में मिले तो हम क्या करे
उनकी खुशी का मंजर तो देखिये
कंधे पर सर सर रख कर मेरे
वो किसी और के लिए रोये
हम चाह कर भी उनके आसुओ को
रोक नही पाये
क्यो की इन आसुओ की वजह से
मेरे साथ woh खड़े थे
Wednesday, June 17, 2009
सच्चाई कुछ जिन्दगी की!!!
क्योकि मेरी आखो ने तेरे सपनो से नाता तोड़ लिया
ये ज़रूरी था मेरे लिए सच्चाई में जीना
इसलिए अँधेरी राहों से गुजरना छोड़ दिया
रहते है तन्हाई के साथ अब हम सदा
शायद इनसे अब दिल का रिश्ता है जोड़ लिया
कहने के लिए मेरे अपने थे बहुत
पर उन्होंने भी अब गैरो से रिश्ता जोड़ लिया
उम्मीदे कभी हकीकत क्यो नही होती
शायद उम्मीदों ने भी हकीकत का साथ छोड़ दिया
कच्चा धागा भी मजबूती की मिशाल बन जाता है
जब लोग पक्के धागों को जब कट के निकल जाते है
Monday, June 1, 2009
ये क्या हुआ है मुझे !!!
पल पल की खुशी को जीना चाहती हू आज कल
हर एक लम्हे को मै छूना चाहती हू आजकल
पता नही क्यो खुशी दिखती है हर बात में
पता नही क्यो एक उमंग सी छाई है आजकल
क्यो ? मै सदियों को लम्हों में जीना चाहती हू
क्यो मै आज कल बस ख़ुद में खोना चाहती हू
कही ये मेरा कोई सपना तो नही !
कही मै नींद में तो नही ,
ये सवाल जेहन में लाके क्यो रुक जाती हू
ये मुझे क्या हुआ है क्यो समझ नही पाती हू
पर शायद मै समझना भी नही चाहती
क्यो !!!
Tuesday, May 5, 2009
हमने क्या पाया !!!
गुजरी जिन्दगी में हमने , क्या क्या पाया है !
बहुत सोचने पर भी न जाने क्यो, बस दिल में एक ही ख्याल आया है
कि इस पाने के चक्कर में ही , मैंने अपना सब गवाया है
न जाने क्यो अक्क्सर, ना चाहते हुए भी दिल में ये ख्याल आया है
दुनिया के इस फंडे को , हम कभी आजमा न पाये
कि जो मांगने सेना मिले , उसको छीन लो
पर क्या छिनने से कभी , किसी को पाने का सुकून मिल पाया है
न जाने क्यो अक्क्सर ये, न चाहते हुए भी दिल में ये ख्याल आया है
क्या पाना ही सब कुछ होता है , लोगो कि जिन्दगी में
कभी किसी ने क्यो नही सोचा , कि वो क्या दे पाया है