हम जी रहे जैसे , हम जीना तो नही चाहते थे
जिस गली की ओर कदम ख़ुद बढ़ चले है
इस रास्तें के हम अनजान मुसाफिर है
फिर क्यो yun हम आगे बढ़ रहे है
कई बार हुमने ख़ुद को बहुत रोका है
पर हर बार वो गली में मिले तो हम क्या करे
उनकी खुशी का मंजर तो देखिये
कंधे पर सर सर रख कर मेरे
वो किसी और के लिए रोये
हम चाह कर भी उनके आसुओ को
रोक नही पाये
क्यो की इन आसुओ की वजह से
मेरे साथ woh खड़े थे
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